स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस की ही तरह गांधी जयंती भी एक राष्ट्रीय पर्व है. इसे प्रत्येक वर्ष हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दिन स्कूल, कॉलेज, आदि में गांधी जयंती पर भाषण, नाटक और गांधी जयंती पर निबंध की प्रतियोगिता होती हैं.
किसी भी विषय पर भाषण देना अपने आप में एक कलात्मक चीज होती है. क्योंकि जब आप किसी भी विषय पर भाषण दे रहे हैं तो उसके लिए आप की तैयारी भी जबरदस्त होनी चाहिए. तभी जाकर आप का भाषण प्रभावी और आकर्षक हो पाएगा क्योंकि जब आप किसी भी विषय के ऊपर स्टेज पर भाषण दे रहे हैं तो आपको भाषण प्रस्तुत करने की कला आनी चाहिए.
ऐसे में अगर आप एक विद्यार्थी हैं और अपने स्कूल या कॉलेज में गांधी जयंती के ऊपर भाषण की प्रतियोगिता में आप भाग ले रहे हैं लेकिन आपको समझ में नहीं आ रहा है कि गांधी जी की जयंती पर भाषण कैसे दें? और उसके लिए आप तैयारी कैसे करें? तो आपके लिए ये आर्टिकल काफी महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि हम आपको इसमें विस्तारपूर्वक जानकारी देंगे कि गांधी जयंती पर भाषण कैसे देना है तो चलिए जानते हैं.
Table of Contents
गांधी जयंती पर भाषण [1]
सभी माननीय, आदरणीय प्रधानाध्यापक, शिक्षकगण और मेरे प्यारे दोस्तों. आप सभी को शुभ प्रभात और नमस्कार आज हम सभी लोग यहां पर गांधी जयंती का महापर्व मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं. मैं इस अवसर पर गांधी जी पर भाषण प्रस्तुत करना चाहता हूं. आप लोगों को मालूम ही होगा कि गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर को हुआ था और हम प्रतिवर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के रूप में मनाते हैं.
इसके अलावा उन्होंने भारत को आजादी दिलाने में अपनी जो भूमिका निभाई थी. उसको याद करने के लिए भी गांधी जयंती का उत्सव हम लोग हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मनाते हैं. महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था प्यार से उन्हें बापू भी कहते हैं. महात्मा गांधी भारत के राष्ट्रपिता भी हैं.
महात्मा गांधी के जन्म दिवस को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के तौर पर भी विश्व स्तर पर मनाया जाता है. इसलिए गांधी जयंती केवल राष्ट्रीय अवकाश नहीं है बल्कि अंतरराष्ट्रीय अवकाश भी है . जून 2007 को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाए जाने की आधिकारिक घोषणा की गई.
तब से 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस का पालन विश्व स्तर पर किया जाता है. इस दिन राष्ट्र संघ में भिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं गांधी जी को सत्य और अहिंसा का पुजारी माना जाता है. गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था.
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में गांधी जी की भूमिका अतुल्य रहा था. उन्होंने अपने संघर्ष और प्रयास के बल पर भारत को स्वतंत्रता दिलाई थी और सबसे महत्वपूर्ण बात है कि उन्होंने भारत को आजादी दिलाने के लिए किसी प्रकार की हिंसा का सहारा नहीं लिया बल्कि उन्होंने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर ब्रिटिश सरकार को भारत से उखाड़ फेंका और तब जाकर हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद देश बना.
गांधीजी सादा जीवन और उच्च विचार सोच के व्यक्ति थे. उनका पहनावा भी काफी साधारण सा था. गांधीजी शराब, मांस, धूम्रपान, अस्पृश्यता के घोर विरोधी थे.
यही कारण है कि भारत में 2 अक्टूबर को शराब बेचने पर सरकार की तरफ से प्रतिबंध लगाया जाता है, लेकिन फिर भी कई जगह पर लोग कानून की अनदेखी करते हुए शराब बेचते हैं.
इसलिए हमें गांधीजी के इस विचारों को अपने जीवन में आत्मसात करना होगा और हमको शराब धूम्रपान और मांस जैसी चीजों से दूरी बना कर रखना होगा तभी जाकर आप गांधीजी के आदर्श पर चल पाएंगे.
गांधी जयंती के दिन पर नई दिल्ली पर राज घाट में ढेर सारी तैयारियां की जाती हैं जैसे प्रार्थना, सभा, फूल चढ़ाना और उनका सबसे प्रमुख गाना “रघुपति राजा राम” आदि पर जाकर गांधी जी को हम लोग सच्चे शब्दों में श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. सबसे बड़ी बात है कि देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और कई गणमान्य राजनेता राजघाट पर जाकर गांधी जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं.
सबसे महत्वपूर्ण बात है कि इस दिन सभी स्कूल सरकारी दफ्तर बंद रहते हैं मैं अपने भाषण का समापन गांधी जी के प्रमुख विचार “ईश्वर अल्लाह तेरे नाम सबको सद्बुद्धि दे भगवान” के माध्यम से करूंगा गांधी जी के इस विचारधारा में हमारे देश की अनेकता में एकता का प्रतिबिंब झलकता है.
धन्यवाद जय हिंद !
Gandhi Jayanti Speech in Hindi [2]
सभी माननीय, आदरणीय प्रधानाध्यापक, शिक्षकगण और मेरे प्यारे दोस्तों व सहपाठियों आप सभी को शुभ प्रभात और नमस्कार. मेरा नाम मनोज है. मैं कक्षा 10वीं में पढ़ता हूं. मैं गांधी जयंती के ऊपर आप लोगों के सामने अपना भाषण प्रस्तुत करना चाहता हूं.
सबसे पहले मैं अपने क्लास के प्रधान शिक्षक को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने मुझे गांधी जयंती जैसे इस महान अवसर पर भाषण देने का अवसर प्रदान किया. जैसा कि आप जानते हैं कि 2 अक्टूबर, गांधी जयंती के रूप में भारत में मनाया जाता है गांधी जयंती सिर्फ एक जयंती ही नहीं है, बल्कि ये एक अंतरराष्ट्रीय पर्व भी है.
गांधी जयंती को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था. इनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था.
गांधी जयंती का उत्सव भारत के सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में काफी हर्ष उल्लास और धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस दिन देश के विभिन्न शहरों में गांधी जयंती से जुड़ा हुआ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता है. जिसमें गांधी जयंती पर भाषण, निबंध लेखन, नाटक और वाद-विवाद जैसे प्रतियोगिता आयोजित की जाती है.
इन प्रतियोगिता में बच्चों के द्वारा बढ़ चढ़कर भाग लिया जाता है. इसके अलावा गांधी जयंती के दिन राजघाट को फूलों के द्वारा सजाया जाता है वहां पर प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाता है जिसमें गांधी जी के प्रसिद्ध भजन रघुपति राजा राम को बजाकर गांधीजी के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है.
इसके बाद देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और दूसरे प्रकार के महत्वपूर्ण राजनेता और संवैधानिक पद पर बैठे हुए लोग राजघाट आकर गांधी जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.
महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व (Great personality) के धनी महापुरुष थे . उन्होंने अपने परिश्रम और प्रयास के माध्यम से भारत को 200 वर्षों की अंग्रेजी गुलामी से आजादी दिलाई. आजादी दिलाने के लिए उन्होंने किसी प्रकार के हथियार का इस्तेमाल नहीं किया और ना ही कोई अहिंसा का रास्ता अपनाया बल्कि उन्होंने सत्य और अहिंसा जैसे महत्वपूर्ण हथियार से अंग्रेजी सरकार को भारत से उखाड़ फेंका.
गांधीजी एक सच्चे पथ प्रदर्शक भी थे. उन्होंने अपने अहिंसा और सत्य के दो महत्वपूर्ण हथियार के माध्यम से विश्व को एक नई दिशा दी और उन्होंने इस बात को साबित किया कि अगर आपको अपने जीवन में कुछ भी बड़े लक्ष्य को प्राप्त करना है तो आप सत्य और अहिंसा जैसे महत्वपूर्ण हथियार का इस्तेमाल कर सकते हैं आपको यकीनन इस में सफलता प्राप्त होगी. गांधीजी हमारे बीच आज सच्चाई और शांति के प्रतीक के रूप में याद किए जाते हैं.
धन्यवाद जय हिंद जय भारत
महात्मा गांधी जी पर भाषण [3]
सभी माननीय, आदरणीय प्रधानाध्यापक, शिक्षक और मेरे प्यारे दोस्तों को मैं प्यार भरा नमस्कार कहना चाहूँगा. मेरा नाम सुरेश पाठक है, मैं कक्षा 8 में पढ़ता हूँ. मेरे प्यारे दोस्तों, महात्मा गाँधी के जन्म दिवस, 2 अक्टूबर के इस शुभ अवसर को मनाने के लिये हम सब यहाँ इकट्ठे हुए हैं.
इस दिन पर, भारत के राष्ट्रपिता का जन्म 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था. ये उत्सव हमारे लिये बहुत मायने रखता है. महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गाँधी है, हालाँकि ये राष्ट्रपिता, गाँधीजी और बापू के नाम से भी पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं. गाँधी जयंती के रुप में देश में बापू के जन्म दिवस को मनाया जाता है जबकि पूरे विश्व में इसे अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रुप में मनाया जाता है.
महात्मा गांधी का जन्म पोरबंदर जैसे छोटे शहर में हुआ था लेकिन उन्होंने बहुत ही महान कार्य किया उन्होंने अंग्रेजी सरकार को भारत से भगाने के लिए अहिंसा जैसे घातक हथियार का इस्तेमाल किया उनका विश्वास था कि भारत से अगर अंग्रेजों को भगाना है तो इसके लिए हमें अहिंसा और सत्य के रास्ते पर चलना होगा क्योंकि इसके बिना हम आजादी प्राप्त नहीं कर सकते थे.
गांधीजी ने इस बात को साबित किया कि अगर आपके मन में किसी भी चीज को लेकर प्रबल विश्वास की भावना है तो आप उस चीज के माध्यम से दुनिया की किसी भी बड़ी से बड़ी शक्ति को हरा सकते .
गांधी जी के इस विचारधारा का लोहा विश्व का प्रत्येक देश मानता है. इसीलिए तो 2 अक्टूबर अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. गांधी जी ने अपना 21 वर्ष दक्षिण अफ्रीका में व्यतीत किया जहां पर उन्हें कई प्रकार के आंदोलन और लोगों के हित के लिए काम किया.
इसके बाद भारत में भारतीय के साथ जिस प्रकार का व्यवहार अंग्रेजी शासन कर रही थी गांधीजी उसको देखकर बहुत ज्यादा ही दुखी हुए इसके बाद ही भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में गांधीजी का प्रवेश होता है, और उन्होंने कई महत्वपूर्ण आंदोलन किए जैसे सविनय अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, चंपारण आंदोलन इत्यादि.
इन सभी आंदोलन ने भारत में ब्रिटिश सरकार के जड़ को कमजोर कर दिया. गांधी जयंती मनाने का प्रमुख उद्देश्य गांधी जी को श्रद्धांजलि अर्पित करना है. इसके अलावा गांधी जी ने देश के आजादी के लिए किस प्रकार संघर्ष और अपना बलिदान दिया था उनके विचारधारा को युवा पीढ़ी के सामने प्रस्तुत करना.
ताकि युवा पीढ़ी के मन में राष्ट्र के प्रति देशभक्ति की भावना का संचार हो कि भारत के विकास में युवा पीढ़ी अपनी भागीदारी और भी मजबूत और सशक्त कर सके मैं अपने भाषण की समाप्ति गांधीजी के एक कथन के माध्यम से करना चाहता
“मेरा जीवन मेरा संदेश है, और दुनिया में जो बदलाव तुम देखना चाहते हो वह तुम्हें खुद में लाना पड़ेगा”.
जय हिन्द जय भारत
Speech on Gandhi Jayanti in Hindi [4]
आदरणीय प्रधानाचार्य, उप प्रधानाचार्य, प्रिय शिक्षकों और मेरे सहपाठी छात्रों गांधी जी के जयंती पर नमस्कार और शुभ प्रभात. मैं विनोद कुमार पाल कक्षा दसवीं वर्ग बी का छात्र हूं. आज गांधी दिवस के इस शुभ अवसर पर आपके सामने गांधी जी के ऊपर में अपना भाषण प्रस्तुत करूंगा गांधीजी किसी पहचान के मोहताज नहीं है.
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी क्या भूमिका है इन सब को हर एक भारतीय भली-भांति जानता है मेरे इस बात से इंकार कर पाना संभव नहीं है कि महात्मा गांधी को भारत का राष्ट्रपिता कहा जाता है . उनके महान चरित्र और व्यक्तित्व (personality) के विषय में जितनी भी बातें की जाए वह सारे बहुत ही कम होंगे शब्दों में उस बात को बयान कर पाना मेरे लिए संभव नहीं है.
महात्मा गांधी का 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्म हुआ था. इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी का और उनके पिताजी का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था. 13 वर्ष की उम्र में महात्मा गांधी का विवाह हो चुका था उनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा गांधी है.
महात्मा गांधी 21 वर्ष तक दक्षिण अफ्रीका में रहने के बाद 1915 में भारत आते हैं यहां पर भारतीय के साथ अंग्रेजी सरकार जिस प्रकार का दुर्व्यवहार कर रहे थे उनको देखने के बाद बहुत ज्यादा दुखी हुए और उन्होंने अपने मन में प्रण लिया कि जब तक वह अंग्रेजों को भारत से उखाड़ नहीं सकते हैं तब तक वह चैन की सांस नहीं लेंगे.
गांधीजी एक जाने-माने प्रतिष्ठित वकील थे लेकिन उन्होंने अपनी वकालत छोड़कर देश की स्वतंत्रता संग्राम की बागडोर अपने हाथ में ले ली.
छात्रों के लिए गांधी जयंती पर भाषण [5]
मैं मनोज पांडेय कक्षा दसवीं वर्ग सी का छात्र हूँ और आज गाँधी दिवस के इस शुभ अवसर पर आप सबके सामने भाषण देने को अपना सौभाग्य समझता हूँ. यह बताने की जरुरत नही है कि भारत के स्वाधीनता संघर्ष में महात्मा गाँधी का योगदान कितना बड़ा है. मेरी इस बात से आप में से शायद ही कोई इंकार कर सकता है.
साधरणतः हम महात्मा गाँधी को बापू के नाम से भी जानते है, उनके महान चरित्र और व्यक्तित्व के विषय में जितनी भी बात की जाये कम है.
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में गांधीजी एक महत्वपूर्ण महानायक के तौर पर देश का नेतृत्व किए थे. गांधी जी के इस मुहिम में देश के कई क्रांतिकारी नेता जैसे भगत सिंह, लाल बहादुर शास्त्री, सुभाष चंद्र बोस, जवाहरलाल नेहरू, लाला लाजपत राय, सरोजनी नायडू, सरदार वल्लभ पटेल जैसे लोगों ने गांधी जी का साथ दिया. ताकि अंग्रेजी सरकार को भारत से भगाया जा सके गांधी जी ने अपने विशेष हथियार अहिंसा और सत्य के रास्ते के द्वारा अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर किया.
उन्होंने भारत को आजादी दिलाने के लिए किसी प्रकार की हिंसा नहीं की क्योंकि गांधी जी हिंसा के प्रबल विरोधी थे. उनका मानना था कि हिंसा के द्वारा देश को आजादी नहीं दी जा सकती है.इसलिए हमें अहिंसा और सत्य के रास्ते पर चलना होगा. तभी जाकर हम भारत को अंग्रेजी सरकार से मुक्त करवाया जा सकता है.
गांधी जी के सत्य और अहिंसा का लोहा विश्व भर में माना जाता है. यही वजह है कि 2 अक्टूबर को विश्व भर में अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है.
गांधी जी ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन का बिगुल देश में फूंक दिया था. यह प्रथम विश्व युद्ध का समय था और उस वक्त के भारत के वायसराय लार्ड चेस्टफोर्ड ने महात्मा गांधी को दिल्ली में आमंत्रित किया युद्ध के विषय में चर्चा करने के लिए.
उन्होंने गांधी जी से आग्रह किया कि भारतीयों को आप कहें कि अधिक से अधिक युद्ध में सम्मिलित हों ताकि हम लोग प्रथम विश्व युद्ध में जीत सके इस पर गांधीजी का जवाब था कि हम एक ही शर्त पर इस युद्ध में सम्मिलित होंगे जब तक आप इस बात का आश्वासन देते नहीं है कि आप भारत को आजाद कर देंगे तब तक हम आपके बातें नहीं मानेंगे.
साथ में गांधीजी ने एक व्यक्तिगत खत में लिखा कि वह भारतीयों को युद्ध में सम्मिलित होने के लिए कहेंगे लेकिन उनसे यह नहीं कहेंगे कि वह किसी भी व्यक्ति की हत्या करें चाहे वह हमारा दुश्मन या दोस्त हो.
गांधी जी के द्वारा चलाया गया खेड़ा आंदोलन काफी प्रसिद्ध है 1917 की बात है जब खेड़ा गांव में भीषण बाढ़ आई थी जिससे किसानों की पूरी फसल बर्बाद हो गई थी और अंग्रेजी सरकार किसानों से जबरदस्ती लगान वसूली कर रही थी. जिसके कारण किसान काफी परेशान थे और उनके ऊपर अत्याचार भी हो रहा था इन सब बातों को किसानों ने गांधी जी के सामने रखा.
गांधी जी ने खेड़ा गांव में खेड़ा आंदोलन का बिगुल फूंक दिया और उन्होंने अंग्रेजी सरकार से कहा कि जब फसल बर्बाद हो गई है तो किसान कहां से आपको लगान देंगे. आप को किसानों का लगान माफ करने होंगे.
कई दिनों तक ये आंदोलन चला. इसके बाद जाकर अंग्रेजी सरकार ने गांधीजी की मांग मानी और किसानों के लगान माफ कर दिया गांधीजी ने एक प्रसिद्ध नारा दिया था. “करो या मरो” उनके इस नारे ने देश में क्रांतिकारी की एक नई चिंगारी को उत्पन्न किया था.
गांधीजी छुआछूत, लिंग भेद-भाव और सामाजिक कृतियों के प्रबल विरोधी थे. गांधीजी का मानना था कि देश के महिलाओं का सशक्तिकरण होना चाहिए क्योंकि देश की महिला माता के समान होती है और जब हमारी देश की माता मजबूत होगी तो हमारे देश में वीर सपूत पैदा होंगे उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण के दिशा में कई महत्वपूर्ण कार्य की है.
गांधीजी के बारे में एक महत्वपूर्ण कथा प्रचलित है कहा जाता है कि गांधीजी ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के प्रमुख प्रवक्ताओं में से एक थे. गांधीजी को देश का सर्वमान्य नेता भी कहा जाता है कि उन्होंने खिलाफत आंदोलन में भी अपनी भागीदारी निभाई थी जिसके कारण से देश में गांधी की पहचान राज नायक के तौर पर होने लगी गांधी जी को हर वर्ग का नेता माना जाता है. कभी भी धर्म जाति का भेदभाव नहीं करते थे.
उनकी नजर में सभी व्यक्ति समान थे. गांधीजी ने भारत में व्यापार सभा क्षेत्र के ऊपर हरिजन नाम की किताब लिखी थी. जिसमें उन्होंने भारत में किस प्रकार छुआछूत की कुरीतियों व्यापक है. उसके ऊपर कटाक्ष किया था.
गांधी जी के द्वारा असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, नमक आंदोलन, चंपारण आंदोलन इत्यादि का संचालन किया गया था.
सबसे आखिर में हम कहेंगे कि गांधीजी अपनी प्रतिभा के धनी थे. उनके नेतृत्व कौशल (leadership skill) ने भारत को अंग्रेजों से गुलामी दिलाने में अपनी एक अहम भूमिका निभाई थी.
देश के स्वतंत्रता संघर्ष में, उनके इस योगदान के चलते हम और हमारे देश की आने वाली पीढ़ी सदैव उनकी ऋणी रहेंगी. उनके बलिदान को कोई ही भूल पाएगा .
मैं अपने भाषण का समापन वैज्ञानिक आइंस्टीन ने” गांधीजी के बारे में जो कहा था उस के माध्यम से करूंगा. आइंस्टाइन ने कहा था कि “आने वाली पीढ़ियों को विश्वास नहीं होगा कि हाड मास का एक ईश्वरीय अवतार इस पृथ्वी पर मौजूद था”.
जय हिंद जय भारत
गांधी जयंती पर भाषण – FAQs
गांधी जयंती पर भाषण की शुरुआत कुछ इस तरह से आप कर सकते है:
आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, माननीय शिक्षक गण, मेरे प्यारे भाइयों एवं बहनों. हम सभी लोग आज गांधी जयंती के शुभ अवसर पर इकट्ठा हुए हैं. मैं आज इस शुभ अवसर पर गांधी जी के जयंती पर अपना एक भाषण प्रस्तुत करूंगा. इसके लिए मैं तहे दिल से अपने प्रधानाचार्य का शुक्रिया अदा करता हूं की उन्होंने मुझे इस शुभ अवसर पर भाषण देने का अवसर प्रदान किया.
नहीं, गांधी जयंती पर विद्यालय में शिक्षण कार्य नहीं हो सकता है. अभी तक तो ऐसा नहीं हुआ है. आगे का पता नहीं है. वैसे उम्मीद है कि आगे भी ऐसा नहीं होगा.
हां, किसी खास मौके से कभी-कभार गांधी जयंती पर विद्यालय जरूर खुला रहता है. उसमें शिक्षण कार्य नहीं होते है. बल्कि उसमें प्रभात फेरी, कथा वाचन, भाषण प्रतियोगिता, लेख प्रतियोगिता जैसे कार्यक्रम होते है.
गांधी जयंती महात्मा गांधी के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है.
इसके अलावा गांधी जी ने जिस प्रकार सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर भारत को अंग्रेजों से गुलामी दिलाई उसके लिए भी गांधी जयंती विश्व भर में अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है.
गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ और उनकी मृत्यु 30 जनवरी 1948 को हुआ.
गांधी जी को नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर हत्या कर दी थी.
गांधी जी ने “करो या मरो” का नारा दिया था.
अमूमन गांधी जयंती पर स्कूल में छुट्टी रहती है, तो झंडा फहराने का कोई सवाल ही नहीं है.
हां, कुछ खास मौके से गांधी जयंती पर स्कूल खुला रहता है. जैसे महात्मा गांधी जी की 150वीं जयंती पर बिहार सरकार ने स्कूलों को खुला रखने तथा उसमें राजकीय कार्यक्रम आयोजित करने का आदेश दिया था. जिसमें कई सारे कार्यक्रम हुए थे, लेकिन झंडा नहीं फहराया गया था.
उम्मीद है कि आपको ये “गांधी जयंती पर भाषण” पसंद आया होगा. अगर आपका इससे जुड़ा कोई प्रश्न है तो कॉमेंट में जरूर पूछें एवं इस पोस्ट को उन लोगों तक शेयर करें जो गांधी जयंती के शुभ अवसर पर भाषण देना चाहते हैं.