आप चाहे स्कूल जाने वाले विद्यार्थी हो या कॉलेज जाने वाली विद्यार्थी आप लॉकडाउन (covid-19) के विद्यार्थी जीवन पर होने वाले प्रभाव को नकार नहीं सकते।
हालांकि यह प्रभाव सभी विद्यार्थी पर बराबर नहीं पड़ा है जिसके पाठ्यक्रम में ज्यादातर प्रैक्टिकल थे उनको इसका ज्यादा प्रभाव पड़ा है जैसे इंजीनियरिंग, मेडिकल आदि। वहीं जिन के पाठ्यक्रम में ज्यादातर थ्योरी या पूरा थ्योरी था उन पर इस लॉकडाउन का प्रभाव बहुत कम पड़ा है जैसे बीए, बी-कॉम आदि।
स्कूल जाने वाले विद्यार्थी को तो शुरू में बहुत खुशी हो रही थी कि चलो छुट्टी है। लेकिन जैसे-जैसे लॉकडाउन का समय बढ़ता गया उनकी खुशी भी उदासी में बदलने लगी। वे अब घर पर बोर होने लगे थे।
इस लॉकडाउन (covid-19) का विद्यार्थी जीवन पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव पड़ा। आइए इस ब्लॉग पोस्ट में इन प्रभाव को जानने का प्रयास करें।
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लॉकडाउन (covid-19) का विद्यार्थी जीवन पर सकारात्मक प्रभाव (positive effect)
1. रचनात्मक (creative) कार्य करने का मौका मिला
अब स्कूल और कॉलेज नही जाना था तो बहुत सारा समय था विद्यार्थी के पास। कुछ विद्यार्थी ये खाली समय मोबाईल में गेम खेलने मे, मूवी देखने में, वेब सीरिज़ देखने में गुजार दिए। तो वहीं कई विद्यार्थी इन खाली समय में कुछ रचनात्मक कार्य करते थे।
ये रचनात्मक कार्य विद्यार्थी की रूची और उपलब्ध संसाधन के हिसाब से अलग-अलग था। जैसे कोई बाग़बानी कर रहा है, तो कोई पुरानी चीजों का इस्तेमाल कर कुछ नया बना रहा है, आदि। ऐसे में वे अपने खाली समय का सही इस्तेमाल कर बोर होने से बच रहे थे और अपने शरीर और दिमाग का विकास कर रहे थे।
2. ऑनलाइन बहुत कुछ सीखा
लॉकडाउन (covid-19) में ऑनलाइन लर्निंग को बहुत बढ़ावा मिला है। ऑनलाइन लर्निंग में सिर्फ विद्यार्थी पाठ्यक्रम (syllabus) ही नहीं बल्कि पाठ्यक्रम के अलावा भी बहुत कुछ सीखा है। जैसे कोई विद्यार्थी कोई विदेशी भाषा सिखा, तो कोई भी नया हुनर (skill)।
ऑनलाइन सीखने के कई तरीके हैं जैसे किसी ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म (udemy, Edx.org, internshala, etc) से कोर्स खरीदकर हालांकि कुछ ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म (khan academy, great learning, alison, etc) से कुछ कोर्स मुफ्त में भी ले सकते हैं। इसके अलावा कई विद्यार्थियों ने यूट्यूब से, वेबसाइट से, और ऐप से भी सीखा।
3. मुश्किल विषय पर ज्यादा ध्यान दे सकें
कुछ विषय बहुत ही मुश्किल होते हैं उनके लिए ज्यादा समय और ध्यान की दरकार होती है। यह मुश्किल विषय अलग-अलग विद्यार्थियों के लिए अलग-अलग हो सकते हैं। लेकिन ज्यादातर विद्यार्थी गणित (math) को ही मुश्किल विषय मानते हैं।
लॉकडाउन में उनके पास काफी ज्यादा समय था तो इसमें कई विद्यार्थियों ने अपने मुश्किल विषय पर ज्यादा ध्यान और समय देकर उसे मजबूत बनाने का प्रयास करने लगे और बहुत से विद्यार्थी इसमें कामयाब भी हुए।
4. ऑनलाइन नया काम शुरू किया
अब तक कई विद्यार्थी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (google, YouTube, etc) और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (Facebook, Instagram, etc) पर सिर्फ उपभोक्ता (consumer) थे। पर अब कई विद्यार्थी इन प्लेटफार्म पर सृजनकर्ता (creator) है।
वे अब सिर्फ दूसरों के पोस्ट ही नहीं देखते थे बल्कि अब अपना भी कुछ पोस्ट करते थे। यहां पोस्ट करने से मुराद सिर्फ अपना फोटो नहीं है बल्कि कुछ ऐसा फोटो, आर्टिकल, वीडियो जो दूसरों को कुछ सीखने में मदद करें।
ब्लॉगिंग, यूट्यूब, इंटर्नशिप, फ्रीलांसिंग आदि बहुत पहले से होता आ रहा है। पर इसमें अब कई नए लोग भी जुड़ गए थे। इन नए लोगों में ज्यादातर विद्यार्थी थे। बहुत से विद्यार्थी अन्य ब्लॉगर, यूट्यूबर, फ्रीलांसर आदि को देखकर सोचते थे कि मैं भी एक दिन यह शुरू करूंगा। लॉकडाउन में उसे लगा कि यह सही वक्त है शुरू करने का और उन्होंने शुरू किया और उनमें से बहुत से विद्यार्थी कामयाब भी हुए।
5. अपने परिवार के साथ वक्त बिता सकें
जिन विद्यार्थियों के माता-पिता दोनों नौकरी (job) करते थे। उन विद्यार्थियों को बहुत ही कम समय मिलता था अपने माता पिता के साथ वक्त बिताने का उनसे बातें करने का। पर इस लॉकडाउन के कारण सब कुछ बंद था तो उनके पास काफी समय था। वे अब साथ में बैठ कर खाते थे बातें करते थे।
मां-बाप अपने अनुभव बच्चों के साथ साझा कर रहे थे तो वहीं बच्चे अपने दिल की बात अपने माता-पिता के सामने रख रहे थे। विद्यार्थियों को जो उनके करियर से जुड़ा जो उलझन था या अन्य कोई परेशानी थी वो अब माता-पिता के सामने रख रहे थे। उनके माता-पिता और उस उलझन को दूर कर रहे थे या करने का पूरा प्रयास कर रहे थे। ऐसा हमेशा होना चाहिए।
लॉकडाउन (covid-19) का विद्यार्थी जीवन पर नकारात्मक प्रभाव (negative effect)
1. पढ़ाई प्रभावित हुई
विद्यार्थियों के लिए इससे ज्यादा नकारात्मक प्रभाव क्या हो सकता है कि उसकी पढ़ाई प्रभावित हुई। हालांकि ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से इस प्रभाव को कम करने की कोशिश की गई और वह पूरी तरह से कारगर नहीं हो पाई।
कई विद्यार्थियों के गांव में सही से नेटवर्क नहीं था तो कहीं सही से बिजली की आपूर्ति नहीं हो रही थी। कई विद्यार्थियों के पास लैपटॉप कंप्यूटर या स्मार्ट-फोन भी नहीं था।
2. मानसिक दबाव बढ़ा
सभी विद्यार्थियों के मन में यह सवाल बार-बार आ रहा था कि ‘पता नहीं स्कूल या कॉलेज कब खुलेगा’ ये एक अनिश्चितता थी जो सभी विद्यार्थियों को परेशान कर रही थी।
इसके अलावा भी उसे और कई चिंता थी के पाठ्यक्रम (syllabus) कैसे पूरा होगा, परीक्षा कैसे दे पाएंगे, करियर का क्या होगा, आदि।
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फाइनल ईयर वाले को अपने प्लेसमेंट की चिंता थी इन सारी चिंताओं की वजह से कई विद्यार्थी अवसाद (depression) का शिकार हो गए और कई जगह से आत्महत्या (suicide),हिंसा, आदि की खबर भी आई जो काफी दुखद था।
बहुत से विद्यार्थी ज्यादातर समय मोबाइल में गेम खेलने, मूवी देखने, वेब सीरिज़ देखने में गुजार रहे थे इससे उसकी सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ रहा था खासतौर पर उसकी आँख और दिमाग बुरी तरह से प्रभावित हो रही थी।
व्यायाम, योग, रचनात्मक कार्य, आदि कर कई विद्यार्थियों ने इस लॉकडाउन के विद्यार्थी जीवन पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को कम किया।
3. आर्थिक तंगी
जो विद्यार्थी गरीब परिवार से थे उनको यह लॉकडाउन बहुत ही ज्यादा परेशान किया। वे आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे। उनके अभिभावक का काम छूट चुका था। वह वर्क फ्रॉम होम नहीं कर सकते थे। ऐसे में कई विद्यार्थियों ने ऑनलाइन कमाई के तरीके ढूंढने लगे।
निष्कर्ष
लॉकडाउन का सभी के जीवन पर असर पड़ा और विद्यार्थी जीवन भी इससे अछूता नहीं रह पाया। विद्यार्थी पर लॉकडाउन का सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव पड़ा। इसे कई विद्यार्थी कुछ नया करने का सुनहरा अवसर की तरह देख रहे थे तो वहीं कई विद्यार्थियों के लिए ये एक बोरिंग दिन था जिसे वह जल्द से जल्द गुजारना चाहते थे।
लॉकडाउन (covid-19) ने शिक्षा के क्षेत्र के कई कमियों को उजागर किया है जिसे दूर करने की आवश्यकता है। ऑनलाइन शिक्षा जो लॉकडाउन में बहुत ज्यादा चर्चित हुआ उसके लिए भी अभी विद्यार्थी और शिक्षक पूरी तरह से तैयार नहीं है। इसकी जो बाधा है जैसे नेटवर्क की समस्या, बिजली की समस्या, तकनीक का काम ज्ञान, आदि को दूर करने की आवश्यकता है।
जिस तरह से विद्यार्थी इस लॉकडाउन में अपने करियर को लेकर, भविष्य को लेकर चिंतित थे और अवसाद (depression) एवं अन्य मानसिक परेशानी के शिकार हुए। इसको देखते हुए सभी स्कूल और कॉलेज में मनोवैज्ञानिक को और करियर काउंसलर को रखना अनिवार्य कर देना चाहिए।
इस ब्लॉग पोस्ट ‘लॉकडाउन (covid-19) का विद्यार्थी जीवन पर प्रभाव। इसके फायदे और नुकसान’ में अपने जाना कि कैसे लॉकडाउन ने विद्यार्थी जीवन को प्रभावित किया। अगर आपको कोई अन्य कारक पता है जो विद्यार्थी जीवन को प्रभावित किया है तो कमेंट में जरूर लिखें।