हमारे जीवन को आसान और बेहतर बनाने में विज्ञान का बहुत बड़ा योगदान है. यह हमारे स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की निगरानी करता है, हमारे बीमारियों को ठीक करने के लिए दवा प्रदान करता है, हमारी बुनियादी जरूरतों को उपलब्ध कराने में मदद करता है, ऊर्जा प्रदान करता है और खेल सहित जीवन को और अधिक मजेदार बनाता है. इन्हीं योगदानों को याद करने के लिए प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (Rashtriya Vigyan Diwas) मनाया जाता है.
भारत हमेशा से विज्ञान के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ा रहा है. कई प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिकों ने उज्जवल दिमाग के आदित्य विचारों के आधार पर दुनिया को बहुत सारे वैज्ञानिक आविष्कार प्रदान किए हैं. प्रकाश के प्रकीर्णन की खोज से लेकर विकासशील उपग्रहों तक विज्ञान के योगदान ने हमारे देश में प्रगति की रफ्तार को तेज कर दिया है.
उन्हीं महान वैज्ञानिकों में से एक है सीवी रमन (CV Raman) जिन्होंने दुनिया को “रमन प्रभाव” नामक एक नायाब तोहफा दिया है.
इस पोस्ट में हमलोग rashtriya vigyan diwas kab manaya jata hai, राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2023 की थीम क्या है, आदि जानेंगे. अंत में National Science Day in Hindi से जुड़े कुछ FAQs भी देखेंगे.
Table of Contents
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का संक्षिप्त विवरण
दिवस का नाम | राष्ट्रीय विज्ञान दिवस |
मनाने की तिथि | 28 फरवरी |
आवृति | प्रतिवर्ष |
स्तर | राष्ट्रीय स्तर |
मनाने का कारण | सीवी रमन द्वारा रमन प्रभाव का खोज |
पहली बार मनाया गया | 28 फरवरी 1987 को |
National Science Day 2023 Theme | Global Science for Global Wellbeing |
Rashtriya Vigyan Diwas Kab Manaya Jata Hai?
Rashtriya Vigyan Diwas प्रतिवर्ष 28 फरवरी को मनाया जाता है. क्योंकि इसी दिन 1928 (28 फरवरी 1928) को सीवी रमन द्वारा “रमन प्रभाव” का खोज किया गया था. जिसके लिए उन्हें 1930 ईसवी में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार तथा 1954 में देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया.
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का इतिहास: नेशनल काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी कम्युनिकेशन (NCSTC) ने 1986 में भारत सरकार से 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में नामित करने का आग्रह किया. जिसे उसी साल भारत सरकार ने स्वीकार कर लिया. इस तरह से पहला राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 28 फरवरी 1987 को मनाया गया था.
पहले राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर एनसीएसटीसी ने विज्ञान और संचार के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रयासों (outstanding efforts) को पहचानने एवं सराहने के लिए राष्ट्रीय विज्ञान लोकप्रियकरण पुरस्कारों (National Science Popularization Awards) की घोषणा की गई थी.
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राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कैसे मनाया जाता है?
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पूरे देश भर में विज्ञान से जुड़े कार्यशालाओं, फिल्मों की प्रदर्शनी, इसके थीम और अवधारणाओं पर चित्रकला, निबंध, लाइव परियोजना, वाद-विवाद, क्विज कंपटीशन, भाषण प्रतियोगिता, संगोष्ठीयां (seminars) आदि आयोजित करके बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.
इसे मनाने के लिए बहुत से लोग एक साथ विभिन्न जगह पर इकट्ठे होते हैं और उत्साह के साथ राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर आयोजित होने वाली विभिन्न गतिविधियों में भाग लेते हैं.
निम्नलिखित संस्थानों में इसे वृहद स्तर पर मनाया जाता है:
- भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग
- जॉइंट मीटर वेब रेडियो टेलीस्कोप (GMRT)
- प्रत्येक राज्य के विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद
- रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO)
- जवाहरलाल नेहरू प्लैनेटेरियम
- सीएसआईआर- राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान (CSIR- NEERI)
इसके अलावा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान में वैज्ञानिकों को भी बुलाया जाता है. छात्रों के साथ वैज्ञानिक अपना अनुभव साझा करते हैं तो वहीं छात्र विज्ञान से जुड़े विभिन्न सवाल पूछ कर अपनी उत्सुकता जाहिर करते हैं.
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाने का उद्देश्य
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों का विज्ञान के प्रति जागरूकता लाना है कि कैसे मानव कल्याण में विज्ञान अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है.
इसके साथ-साथ ये नए विचारों, रचनात्मक एवं अभिनव (innovative) टेक्नोलॉजी के विकास पर गहन चर्चा के लिए भी मनाया जाता है.
इस दिन मानव कल्याण के लिए विज्ञान के क्षेत्र में सभी गतिविधियों, प्रयासों और उपलब्धियों को भी प्रदर्शित किया जाता है.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखने वाले व्यक्ति को अवसर देना तथा उनको विज्ञान के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करना भी राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के उद्देश्यों में शामिल है.
सीवी रमन कौन थे?
सीवी रमन भारत के सबसे प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में से एक हैं. उनका पूरा नाम चंद्रशेखर वेंकटरमन था. प्रकाश के प्रकीर्णन पर अपने अग्रणी कार्य के लिए उन्हें 1930 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार से भी नवाजा गया था.
चंद्रशेखर वेंकटरमन का जन्म 7 नवंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में हुआ था. उनके पिता का नाम चंद्रशेखर अय्यर तथा माता का नाम पार्वती अम्मा था. चंद्रशेखर अय्यर गणित और भौतिकी के व्याख्याता (lecturer) थे. इसलिए इनके घर में बचपन से ही शैक्षणिक माहौल था.
उन्होंने 1902 में प्रेसिडेंसी कॉलेज (मद्रास) में प्रवेश लिया तथा 1904 में प्रथम स्थान एवं भौतिकी में स्वर्ण पदक (gold medal) जीतकर बीएससी परीक्षा पास किए. फिर 1907 में सीवी रमन ने अपना M.Sc. हाईएस्ट डिस्टिंक्शन के साथ पास किया.
उस समय भारत में वैज्ञानिकों के लिए इतने ज्यादा अवसर नहीं था. इसलिए 1907 में रमन भारतीय वित्त विभाग में शामिल हो गए. अपने कार्यालय से आने के बाद वे इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ़ साइंस (कोलकाता) के प्रयोगशाला में प्रयोगात्मक शोध किया करते थे.
1947 में उन्हें स्वतंत्र भारत की नई सरकार द्वारा पहला राष्ट्रीय प्रोफेसर नियुक्त किया गया था. 1948 में वह भारतीय संस्थान से सेवानिवृत्त (retired) हुए और एक साल बाद उन्होंने बैंगलोर में रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना की, जहां उन्होंने अपनी मृत्यु तक काम किया.
Sir C.V. Raman की मृत्यु 21 नवंबर 1970 को हुई थी.
रमन प्रभाव क्या है?
रमन प्रभाव किसी माध्यम के अणुओं द्वारा प्रकाश कणों के बिखरने की प्रक्रिया है. ये प्रकीर्णन प्रकाश की तरंग धैर्य में बदलाव के कारण होता है, क्योंकि यह प्रकाश माध्यम में प्रवेश करता है.
जब प्रकाश का एक किरण धूल रहित, पारदर्शी रसायन से गुजरता है, तो प्रकाश का एक छोटा सा अंश जहां उभरना चाहिए वहां छोड़कर अन्य दिशाओं में उभरता है.
इसका मतलब यह है कि शरीर से अपवर्तित प्रकाश, भूमध्य सागर या एक हिमशैल (iceberg) की तरह एक अलग रंग का प्रतिशत हो सकता है.
रमन प्रभाव ने ही “रमन स्पेक्ट्रोस्कॉपी” के क्षेत्र को जन्म दिया, जिसका दुनिया भर के कई क्षेत्रों में व्यापक अनुप्रयोग हो रहा है.
यह रासायनिक बंधन संरचनाओं को निर्धारित करने, तापमान निर्धारित करने, क्रिस्टलीय अभिविन्यास को ढूंढने, फार्मास्यूटिकल रसायनों की पहचान करने, नकली दवाओं की खोज करने, पुराने चित्रों और ऐतिहासिक दस्तावेजों में वर्णक (pigments) की पहचान करने और दूर से ही लेजर का उपयोग करके विस्फोटकों का पता लगाने में मदद कर सकता है.
रमन प्रभाव (raman effect) को रमन प्रकीर्णन (raman scattering) भी कहा जाता है.
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2023 की थीम क्या है?
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2023 की थीम, वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान (Global Science for Global Wellbeing) है
National Science Day 2023 Theme का केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने मीडिया सेंटर, दिल्ली में अनावरण किया है.
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2023 की विषयवस्तु को निर्धारित करने के बारे में उनका कहना था कि…
भारत के 2023 में प्रवेश करने के साथ ही यह विषय भारत की उभरती वैश्विक भूमिका और अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में में बढ़ती उसकी दृश्यता को इंगित करता है.
~ डॉ जितेंद्र सिंह
उसने आगे कहा कि…
“वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान” का विषय भारत के जी-20 की अध्यक्षता संभालने के साथ पूरी तरह मेल खाता है. जिससे वह एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के विकासशील देशों सहित वैश्विक दक्षिण की आवाज बनेगा.
~ डॉ जितेंद्र सिंह
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आपको बता दें कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) वैज्ञानिक संस्थानों, अनुसंधान प्रयोगशालाओं और स्वायत्त (autonomous) वैज्ञानिक संस्थानों में देश भर में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के उत्सव का समर्थन, उत्प्रेरण और समन्वय (coordinate) करने के लिए एक केंद्रीय (nodal) एजेंसी के रूप में कार्य करता है.
Rashtriya Vigyan Diwas Ki Theme
वैसे तो नेशनल साइंस डे 1987 से ही मनाया जा रहा है. परंतु यहां आपको 2005 के विज्ञान दिवस की थीम से लेकर राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2023 तक की थीम हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में बताई जा रही है.
वर्ष | विषय | Theme |
2005 | भौतिकी को मनाना | Celebrating Physics |
2006 | हमारे भविष्य के लिये प्रकृति की परवरिश करें | Nurture Nature for our future |
2007 | प्रति द्रव्य पर ज्यादा फसल | More Crop Per Drop |
2008 | पृथ्वी ग्रह को समझना | Understanding the Planet Earth |
2009 | विज्ञान की सीमा को बढ़ाना | Expanding Horizons of Science |
2010 | दीर्घकालिक विकास के लिये लैंगिक समानता, विज्ञान और तकनीक | Gender Equity, Science & Technology for Sustainable Development |
2011 | दैनिक जीवन में रसायन | Chemistry in Daily Life |
2012 | स्वच्छ ऊर्जा विकल्प और परमाणु सुरक्षा | Clean Energy Options and Nuclear Safety |
2013 | अनुवांशिक संशोधित फसल और खाद्य सुरक्षा | Genetically Modified Crops and Food Security |
2014 | वैज्ञानिक मनोवृत्ति को प्रोत्साहित करना | Fostering Scientific Temper |
2015 | राष्ट्र निर्माण के लिये विज्ञान | Science for Nation Building |
2016 | देश के विकास के लिए वैज्ञानिक मुद्दों पर सार्वजनिक प्रशंसा बढ़ाने के लक्ष्य | Scientific Issues for Development of the Nation |
2017 | विशेष रूप से एबल्ड पर्सन के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी | Science and Technology for Specially Abled Persons |
2018 | एक सतत भविष्य के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी | Science and Technology for a sustainable future |
2019 | विज्ञान के लिए जन और जन के लिए विज्ञान | Science for the People, and the People for Science |
2020 | विज्ञान में महिलाएँ | Women in Science |
2021 | एसटीआई का भविष्य (विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार): शिक्षा, कौशल, कार्य पर प्रभाव | Future of STI (Science, Technology and Innovations): Impacts on Education, Skills, and Work |
2022 | सतत् भविष्य के लिये विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एकीकृत दृष्टिकोण | Integrated Approach in science and technology for Sustainable Future |
2023 | वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान | Global Science for Global Wellbeing |
Rashtriya Vigyan Diwas – FAQs
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस प्रत्येक वर्ष 28 फरवरी को प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक सीवी रमन द्वारा “रमन प्रभाव” की खोज के उत्सव में मनाया जाता है.
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कब से शुरू हुआ?
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 28 फरवरी 1987 से शुरू हुआ.
28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस क्यों मनाया जाता है?
क्योंकि इसी दिन 1928 (28 फरवरी 1928) को सीवी रमन द्वारा “रमन प्रभाव” की खोज की गई थी. जिसके कारण उसे 1930 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार भी मिला.
28 फरवरी राष्ट्रीय विज्ञान दिवस किसके जन्मदिन पर मनाया जाता है?
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस किसी के भी जन्मदिन पर नहीं मनाया जाता है, बल्कि सीवी रमन द्वारा 28 फरवरी 1928 को रमन प्रभाव के खोजे जाने के याद में मनाया जाता है.
रमन प्रभाव की खोज किसने की है?
रमन प्रभाव की खोज सीवी रमन ने की है.