Gandhi Jayanti Essay in Hindi | गांधी जयंती पर 3 बेहतरीन निबंध

अहिंसा के पुजारी और राष्ट्रपिता के नाम से पुकारे जाने वाले महात्मा गांधी जी की जयंती हर साल मनाई जाती है. इस दिवस को गांधी जयंती के नाम से जाना जाता है. तो आइए गांधी जयंती पर एक विस्तृत निबंध (Gandhi Jayanti Essay in Hindi) जानते है.

महात्मा गांधी ने अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में देश को आजादी दिलाने के लिए वह सभी संभव प्रयास किए थे जो एक सच्चा देशभक्त अपने देश के लिए कर सकता है. 

आज के इस लेख के द्वारा हम अपने पाठकों के लिए गांधी जयंती पर निबंध (Gandhi Jayanti Par Nibandh) लेकर प्रस्तुत हुए है. इसे पढ़कर आपको गांधी जी से जुड़ी कई सारी बातों का पता चलेगा. 

यदि आप एक विद्यार्थी हो और आपको गांधी जयंती पर निबंध लिखना है तो भी आप इस लेख में दिए गए निबंध का इस्तेमाल कर सकते हो.

महात्मा गांधी जी पर निबंध तो आपको इस लेख में मिलेगा ही लेकिन साथ में आपको हम गांधी जयंती से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब भी देने वाले है जिनके बारे में भी आपको पता होना चाहिए. 

इस सम्पूर्ण आर्टिकल में कई सारे गांधी जयंती पर निबंध प्रदान किए गए है. जिनमे से किसी को भी आप पढ़ सकते हो और लिख भी सकते हो. 

यदि स्कूल या कॉलेज में गांधी जयंती पर निबंध लेखन प्रतियोगिता आयोजित हो रही है तब भी आप यहां प्रस्तुत गांधी जी पर निबंध हिंदी में, का उपयोग कर सकते है. आइए फिर बिना कोई समय गंवाए इस निबंध की शुरुआत करते है.

गांधी जयंती कब और क्यों मनाई जाती है?

अधिकतर लोगों को गांधी जयंती कब और क्यों मनाई जाती है इस सवाल का जवाब अच्छे से पता है लेकिन काफी सारे लोग ऐसे भी है जिनको इससे संबंधित जानकारी ही नहीं है. 

अतः हम बताना चाहेंगे की हर साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है. 2 अक्टूबर का ही दिन इसलिए चुना गया है क्योंकि गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था. अतः उनके जन्म दिवस वाले दिन गांधी जयंती को उनके जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है.

गांधी जयंती इसलिए मनाई जाती है क्योंकि महत्मा गांधी ने भारत देश को अंग्रेजों के हाथों से आजादी दिलाने के लिए अपना अहम योगदान दिया था. उन्होंने देश को आजादी दिलाने के लिए कई सारे आंदोलन भी किए थे. 

Statue of Mahatma Gandhi
Statue of Mahatma Gandhi

अहिंसा के रास्ते पर चलना उनका धर्म था और इसी रास्ते पर चलकर ही उन्होंने देश को आजादी दिलाई थी. अतः उनकी कुर्बानी को याद करते हुए है हर साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है.

गांधी जयंती पर निबंध [1]

सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलकर इस देश भारत को आजादी दिलाने में बेमिशाल योगदान देने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की 2 अक्टूबर को जयंती है. महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर जिला में हुआ था.

हर साल गांधी जयंती को तीसरे सबसे महतवूर्ण राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में पूरे भारत देश में 2 अक्टूबर को मनाया जाता है. यह दिवस गांधी जी के देश के प्रति बलिदान को सम्मानित करने और उन्हें श्रद्धांलजी देने के लिए मनाई जाती है. 

Mahatma Gandhi Statue at Sabarmati Ashram
Mahatma Gandhi Statue at Sabarmati Ashram

पूरे भारत में गांधी जी को राष्ट्रपिता तथा बापू जी के नाम से भी जाना जाता है. सदैव देश के हित के बारे में सोचने वाले महात्मा गांधी जी को अहिंसा का पुजारी भी कहा जाता है, क्योंकि वह शांतिमय कार्यों में विश्वास रखने वाले व्यक्ति थे. इसी अहिंसा के राह पर चलते हुए उन्होंने भारत में अंग्रेजों के खिलाफ कई सारे आंदोलन चलाए थे.

गांधी जी का विश्वास था की अंग्रेजों के खिलाफ जीत हासिल करने का सबसे अच्छे तरीका अच्छाई और अहिंसा के पथ पर चलना है. हालांकि उनके द्वारा कई सारे आंदोलन चलाए जाने के कारण उनको सलाखों के पीछे भी जाना पड़ा था लेकिन उन्होंने बिना डरे हुए और हार न मानते हुए अहिंसा के राह पर चलते रहने का फैसला किया. 

गांधी जी समानता में विश्वास रखने वाले व्यक्ति थे और उनकी नजरों में भेदभाव जैसी कोई भी चीजें नही थी बल्कि सभी उनके लिए एक समान थे. 

हर साल सरकारी अधिकारियों के द्वारा दिल्ली में स्थित उनकी समाधि स्थल पर जोर शोर से गांधी जयंती संपूर्ण देशवासियों के साथ मिलकर मनाई जाती है. राजघाट के समाधि स्थल को अच्छे से सजाया जाता है और उनको श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है.

सम्पूर्ण भारत के विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों में गांधी जयंती के दिन को निबंध लेखन, भाषण प्रतियोगिता, कला प्रतियोगिता, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, नाट्य प्रस्तुति आदि जैसी चीजों में भाग लेकर विद्यार्थियों द्वारा मनाया जाता है. 

यहां तक कि इस दिन जिस भी विद्यार्थी का प्रदर्शन सबसे उत्तम होता है उसे पुरुस्कार देकर सम्मानित किया जाता है. इसके साथ देश के कई सारे नेता और राजनीति कार्यकर्ता इस दिन सभा समारोह में भाषण देते हैं. 

गांधी जयंती मनाने का उद्देश्य देशवासियों और युवाओं को प्रेरणा देना है. अतः हम सभी को गांधी जी के जीवन से कुछ न कुछ सीखना चाहिए. सिर्फ भारत के लिए नही बल्कि मार्टिन लूथर किंग, नेल्सन मंडेला, जेम्स लॉसन जैसे महान नेताओं के लिए भी गांधी जी प्रेरणा के पात्र थे.

Gandhi Jayanti Essay in Hindi [2]

गांधी जयंती को राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में प्रतिवर्ष 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी को श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से पूरे भारत में मनाया जाता है. इस दिवस को भारत में गांधी जयंती और पूरी दुनिया में अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है. 

गांधी जयंती को अहिंसा दिवस के रूप में मनाने का फैसला 15 जून 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा किया था. गांधी जी, जिनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था, उनकी मृत्यु के पश्चात उनके द्वारा दिए योगदान को याद करते हुए यह दिवस मनाया जाता है. 

इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया है. गांधी जी द्वारा आजादी के लिए अहिंसा आंदोलन से आज के समय में भी संसार के समस्त राजनीतिक नेता और युवा पीढ़ी प्रभावित होती है.

गांधी जयंती को अहिंसा दिवस के रूप में मनाने का एकमात्र उद्देश्य गांधी जी के सिद्धांत, अहिंसा पर विश्वास, देश प्रेम जैसी भावनाओं को देश दुनिया तक पहुंचना है. गांधी जी हमेशा से ही देश के हित के बारे में सोचते थे तथा सदैव ही उन्होंने अपने देश को आजादी दिलाने के बारे में सोचा. 

उनके योगदान को आज भी समस्त देश प्रेमी याद रखते थे. उनकी इस याद को हमेशा-हमेशा के लिए अमर बनाने के लिए गांधी जयंती मनाया जाता हैं. गांधी जी को सभी प्यार से बापू जी भी कहा करते है. गांधी जी का जन्म गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान में हुआ था.

जन्म के बाद जब वह युवा अवस्था में पहुंचे तो तब से ही उन्होंने अपना जीवन देश के लिए समर्पित करने का निर्णय कर लिया था. उन्होंने अपने पूरे जीवन में स्वराज्य प्राप्ति, समाज से अस्पृश्यता को हटाने, दूसरी सामाजिक बुराईयों को मिटाने, किसानों के आर्थिक स्थिति को सुधारने में, महिला सशक्तिकरण जैसे विषयों पर काम किया और सफलता भी प्राप्त की. 

गांधी जी द्वारा 1920 में असहयोग आंदोलन, 1930 में दांडी मार्च या नमक सत्याग्रह और 1942 में भारत छोड़ो आदि आंदोलन चलाये गये ताकि अंग्रेजी हुकूमत से देशवासियों को आजादी दिला सके. यहां तक की भारत से अंग्रेजों को भगाने के लिए उन्होंने भारत छोड़ो आन्दोलन भी किया.

विद्यार्थी, शिक्षक, सरकारी अधिकारियों द्वारा प्रत्येक वर्ष गांधी जयंती पूरी देशभक्ति के साथ मनाया जाता है. नई दिल्ली के राजघाट पर गांधी जी की स्मृति पर फूलों की माला चढ़ाकर तथा उनका मनपसंद गीत “रघुपति राघव राजा राम” गाकर उनको श्रद्धांजलि दी जाती है. 

गांधी जयंती हर साल देश में मनाए जाने वाले सबसे बड़े राष्ट्रीय कार्यक्रम स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस के बाद तीसरा सबसे बड़ा कार्यक्रम है जिसे भारत में समस्त स्कूलों, कॉलेजों में विद्यार्थियों तथा अध्यापकों के सहयोग द्वारा मनाया जाता है. 

हालांकि इस दिन गांधी जी को याद करते हुए पूरे देश में राष्ट्रीय अवकाश होता है, लेकिन उससे अगले दिन गांधी जयंती से संबधित कई सारे कार्यक्रम आयोजित किए जाते है शिक्षण संस्थानों में. जिसमें निबंध लेखन, भाषण प्रतियोगिता, कला प्रतियोगिता, आदि शामिल हैं.

गांधी जी ने इस भारत देश के लिए जो भी कार्य किए उन सभी कार्यों को आज के दिन याद किया जाता है. लेकिन हमें चाहिए हम केवल उनके कार्यों को याद न रखें बल्कि उनके जीवन से कुछ न कुछ सीखें जरुर. हमें भी चाहिए की हम भी अहिंसा का रास्ता अपनाए और किसी से कोई भेदभाव न करें.

Essay on Gandhi Jayanti in Hindi [3]

गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर शहर में हुआ था. गाँधी जी का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम करमचंद गाँधी था जो पोरबंदर रियासत में  वांकानेर के दीवान के उच्च पद पर प्रतिष्ठित थे. इनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो एक गृहणी थी. 

गाँधी जी बचपन से ही साधारण तथा सरल जीवन (simple life) व्यतीत करने वाले व्यक्ति थे. गाँधी जी बचपन से ही दूसरों की मदद करने वाले तथा दूसरों के हक में लड़ने वाले व्यक्ति थे. 

गाँधी जी को दूसरों की मदद करने की आदत उनकी माता से लगी थी. उनकी माता सदैव दूसरों की मदद करती थी तथा वह गरीबों की सेवा के लिए सदैव तत्पर रहती थी.

गाँधी जी जब छोटे थे तब उस समय बाल विवाह की प्रथा प्रचलित थी इसी कारण से उनका विवाह 13 वर्ष की आयु में कस्तूरबा बाई से हो गया था. 

गाँधी जी की बचपन की पढ़ाई गुजरात के विद्यालय से ही हुई तथा जब इनकी विद्यालय की पढ़ाई पूरी हुई तो उनके बड़े भाई ने इन्हें कानून की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड भेज दिया. जब गाँधी जी की कानून की पढ़ाई पूरी हुई तो ये वापिस भारत लौटे. जब गाँधी जी भारत वापस लौटे तो उस समय ब्रिटिश सरकार काले रंग के लोगों के साथ तथा भारतीयों के साथ भेदभाव करती थी.

इन लोगों के साथ हर जगह भेदभाव किया जाता था. जब गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका अफ्रीका में गए थे तब वहां उन्हें इसी समस्या का सामना करना पड़ा था. वहाँ के लोगों के साथ भी उनके रंग को लेकर भेदभाव किया जाता था. 

एक दिन जब गांधी जी ट्रेन में सफर करने वाले थे तो उनके पास फर्स्ट क्लास एसी की टिकट थी किंतु उन्हें वहाँ से धक्के मारकर बाहर निकाल दिया गया और उन्हें थर्ड क्लास के डिब्बे में अपनी यात्रा पूरी करनी पड़ी. इसके पश्चात् उन्होंने यह निर्णय लिया था कि वह इस भेदभाव के खिलाफ़ आवाज उठाएंगे तथा लड़ाई लड़ेंगे.

गांधी जी का राजनीति की तरफ झुकाव

गाँधी जी के पिता ब्रिटिश सरकार के समय अंग्रेजी हुकूमत के दीवान के रूप में कार्य करते थे. इस कारण उनके घर में राजनीतिक माहौल पहले से ही बना रहता था. जब गांधीजी घर में कोई राजनीतिक मुद्दा चलता था तो उनका पूरा ध्यान उस मुद्दे में ही लग जाता था. 

इससे गाँधी जी को राजनीति (Politics) में बहुत प्रेरणा मिली तथा आगे चलकर गाँधी जी ने भारतीयों के साथ होने वाले भेदभाव का पूरा विरोध किया.

गाँधी जी ने इसके खिलाफ़ बहुत से आंदोलन भी चलाएं. अंग्रेजी सरकार से भारत को आजाद कराने में गाँधी जी का महत्वपूर्ण योगदान है. 

जब गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका में थे तब 1915 में कांग्रेस के नेता गोपाल कृष्ण गोखले ने गाँधी जी से भारत वापस लौटने का अनुरोध किया इनके अनुरोध से गाँधी जी भारत वापस लौटे तथा कांग्रेस पार्टी में साथ शामिल हो गए. गाँधी जी ने 1920 तक अच्छे से कांग्रेस का नेतृत्व किया.

महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए 5 प्रमुख आंदोलन

महात्मा गांधी जी द्वारा चलाएं गए प्रमुख आंदोलन निम्नलिखित हैं.

1. चंपारण आंदोलन

यह गाँधी जी का ब्रिटिश सरकार के खिलाफ़ पहला आंदोलन था. ब्रिटिश सरकार किसानों को उनकी फसल की पैदावार के बदले नील की खेती करने के लिए मजबूर कर रही थी. 

अंग्रेजों के किसानों पर दबाव के कारण गाँधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ़ यह आन्दोलन चलाया. 1917 में चंपारण नामक गांव से इस आंदोलन की शुरुआत हुई.

अंग्रेजों ने गाँधी जी को पीछे हटाने के बहुत से प्रयास किए किंतु गांधी जी किसानों के हित के चलते पीछे नहीं हटे तथा अंग्रेजों को इनकी मांगे माननी पड़ी. 

इस आंदोलन से गाँधी जी को पता लग गया कि अंग्रेजों को अहिंसा के माध्यम से भारत से बाहर निकाला जा सकता है, इसलिए गाँधी जी ने ऐसे कई आंदोलन आगे चलकर शुरू किए.

2. खेड़ा आंदोलन (खेड़ा सत्याग्रह)

1918 में गुजरात के खेड़ा नामक गाव में भयंकर बाढ़ के चलते वहाँ के किसानों की सारी फसल बर्बाद हो गई थी. किसान अंग्रेजों का भारी कर चुका नहीं पा रहे थे. लेकिन ब्रिटिश सरकार ने उन किसानों के करो में कोई कमी नहीं की तथा वे  किसानों से पूरा कर लेना चाहते थे. 

जब किसानों ने यह बात गाँधी जी को बताई तो गाँधी जी ने किसानों का साथ देते हुए ब्रिटिश सरकार के खिलाफ़ यह आंदोलन छेड़ दिया. गाँधी जी को किसानों का संपूर्ण समर्थन मिला था. 

इस आंदोलन का भयंकर रूप देखते हुए ब्रिटिश सरकार को अपने कदम पीछे हटाने पड़े तथा उन्हें किसानों का कर (tax) माफ़ करना पड़ा. अतः यह आंदोलन खेड़ा सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है. 

3. असहयोग आंदोलन

जब भारत में अंग्रेजों की क्रूरता बढ़ने लगी थी, अंग्रेज भारतीयों की हत्याएं करने लगे थे, भारतीयों पर अत्याचार होने लगे थे तथा जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ तो गाँधी जी को लगा कि अगर अंग्रेजों के खिलाफ़ कोई कदम नहीं उठाया गया तो अंग्रेज भारतीयों की दशा बद से बत्तर कर देंगे. 

गाँधी जी पर जलियांवाला बाग हत्याकांड का अत्यधिक असर पड़ा तथा गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन आरंभ कर दिया. इस आंदोलन में गाँधी जी ने सभी भारतीयों से अनुरोध किया कि वे सभी स्वदेशी वस्तुओं को अपनाए तथा विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कर दे. 

इस आंदोलन में गाँधी जी को पूरे देश से समर्थन मिलने लगा तथा सभी लोग धीरे धीरे स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने लगे. देखते ही देखते आंदोलन पूरे देश में फैल गया. 

अंग्रेजी सरकार कमज़ोर होने लगी. इसी बीच चौरा-चौरी की घटना हो गई. इसमें अंग्रेजों ने भारी लूट मचाई तथा आंदोलन हिंसा की ओर जाने लगा. गाँधी जी को कुछ समय पश्चात यह आंदोलन वापस लेना पड़ा तथा उन्हें छह महीने की जेल भी हो गई.

4. सविनय अवज्ञा आंदोलन

जब अंग्रेजों का अत्याचार बढ़ता ही जा रहा था तथा वे करों में वृद्धि करते ही जा रहे थे. जिन वस्तुओं में करो की वृद्धि हो रही थी उसमे नमक भी शामिल था. 

अंग्रेजों ने नमक पर अधिक कर लगा दिये जिससे सभी लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. तभी गाँधी जी ने नमक आंदोलन आरंभ किया. 

गाँधी जी ने 12 मार्च 1930 को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से अपनी यात्रा प्रारंभ की जो यात्रा 3 अप्रैल 1930 में दांडी जाकर पूर्ण हुई थी.

यह यात्रा नमक पर अधिक कर लगाने की वजह से आरंभ की गई थी. इस यात्रा में हजारों लोगों ने गाँधी जी का साथ दिया तथा गाँधी जी ने सभी को स्वयं नमक का उत्पादन करने के लिए प्रेरित किया. 

यह गाँधी जी का अहिंसा से चलाया गया आंदोलन था जो सफल हुआ. इस आंदोलन को नमक सत्याग्रह, दांडी यात्रा या दांडी मार्च के नाम से भी जाना जाता है.

5. भारत छोड़ो आंदोलन

8 अगस्त 1942 को गांधीजी ने भारत छोड़ो आंदोलन आरंभ किया. इस आंदोलन को नमक आन्दोलन से बहुत सहयोग मिला था. यह आंदोलन भारत को अंग्रेजों से मुक्त करवाने के लिए शुरू किया गया था. 

जब इस आंदोलन की शुरुआत की गई तो उस समय दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था. अंग्रेजों की दशा बेहद खराब थी तब ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों से ब्रिटिश सरकार का साथ देने के लिए कहा लेकिन भारतीयों ने उनका साथ देने के लिए इंकार कर दिया. 

तब ब्रिटिश सरकार ने वादा किया कि अगर भारतीय उनका साथ देंगे तो भारत को ब्रिटिश सरकार से आजाद कर दिया जाएगा. यह सब कुछ भारत छोड़ो आंदोलन से ही संभव हुआ तथा 1947 को भारत आज़ाद आखिरकार अनेक प्रयासों के चलते आजाद हो गया. 

भारत छोड़ो आंदोलन पूर्ण रूप से सफल रहा. इसकी सफलता के पीछे संपूर्ण भारतीयों का पूर्ण सहयोग था. भारतीयों की एकजुटता से ही भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली.

Gandhi Ji Andolan
महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए 5 प्रमुख आंदोलन

उपसंहार

सम्पूर्ण गांधी जी पर निबंध या गांधी जयंती पर निबंध को पढ़ने के बाद आपको अच्छे से ये ज्ञात हो चुका होगा की किस तरह से महात्मा गांधी जी से अपना संपूर्ण जीवनकाल देश को आजादी दिलाने के लिए समर्पित कर दिया. 

इस निबंध को पढ़ने के बाद आपको यह भी समझ में आ चुका होगा की क्यों महात्मा गांधी की राष्ट्रपिता कहा जाता है. बहुत से लोग उनको प्यार से बापू जी कहकर भी बुलाते है. प्रतिवर्ष इनकी याद में ही गांधी जयंती 2 अक्टूबर को मनाई जाती है. 

गांधी जयंती पर निबंध से संबंधित प्रश्न (FAQs)

गांधी जी का इस साल (2024 में) कौन सी जन्मथिति है?

साल 2024 में गांधी जी की 155वीं जन्मतिथि है.

क्या गांधी जयंती पर स्कूल में छुट्टी होती है?

अमूमन गांधी जयंती पर स्कूल में छुट्टी ही होती है.
लेकिन कुछ खास मौके से कभी-कभी गांधी जयंती पर स्कूल में छुट्टी नहीं होती है. यानी स्कूल खुला रहता है. जैसे बिहार में एक बार ऐसा हुआ था.

बिहार में महात्मा जी की 150वीं (जो की 2019 में थी), पर बिहार सरकार ने आदेश दिया था की उस दिन स्कूल खुला रहेगा और उसमें राजकीय कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. जिसके तहत प्रभात फेरी, कथा वाचन, भाषण प्रतियोगिता, लेख प्रतियोगिता सहित कई सारे अन्य प्रेरणादायक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए.

गांधी जयंती का क्या महत्व है?

गांधी जी को यूं ही नहीं राष्ट्रपिता कहकर बुलाया जाता है बल्कि उन्होंने इस भारत देश को अंग्रेजी सल्तनत से आजाद करवाने के लिए अपने प्राण तक त्याग कर दिए.

अतः देश को सर्वोपरि मानकर और देश की भलाई के अपने प्राणों की चिंता न करने वाले महात्मा गांधी जी की याद में गांधी जयंती मनाई जाती है और उनको श्रद्धांजलि दी जाती है.

गांधी जयंती कब मनाई जाती है?

प्रतिवर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती सम्पूर्ण भारतवर्ष में मनाई जाती है.

महात्मा गॉंधी ने कितने आंदोलन किये थे? 

महात्मा गॉंधी ने अपने जीवनकाल मे कुल मिलाकर 6 आंदोलन किये थे.

महात्मा गॉंधी का नारा क्या है?

8 अगस्त 1942 को महात्मा गाँधी ने भारत छोड़ो आंदोलन पर भाषण दिया था, जिनमें उन्होंने संपूर्ण भारतीयों को आवाहं देते हुए करो या मरो का नारा दिया था.

महात्मा गांधी ने कौन कौन सी पुस्तक लिखी है?

महात्मा गॉंधी ने सत्य के साथ मेरे प्रयोग, हिंद स्वराज, The words of Gandhi, मेरे सपनों का भारत, आदि जैसी कई पुस्तके लिखी है.

2 अक्टूबर को किन दो भारतीय हस्तियों का जन्मदिन होता है?

2 अक्टूबर को महात्मा गांधी जी का जन्मदिन तो मनाया ही जाता है लेकिन इसके साथ साथ स्वतंत्रता में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले लाल बहादुर शास्त्री जी का भी जन्मदिन 2 अक्टूबर को ही मनाया जाता है.

महात्मा गाँधी का धर्म क्या है?

गांधी जी के चार धर्म थे धार्मिक मान्यता, जीवन-साथी, बच्चे, माता पिता.

महात्मा गॉंधी के राजनीतिक गुरु कौन थे?

गोपाल कृष्ण गोखले महात्मा गांधी तथा महोमद जिन्ना दोनो के राजनीतिक गुरु थे. 

क्या गांधी जयंती पर झंडा फहराया जाता है?

आमतौर पर गांधी जयंती पर कई सारे कार्यक्रम होते है, लेकिन झंडा नहीं फहराया जाता है.लेकिन कभी-कभी कुछ जगहों पर गांधी जयंती के अवसर पर झंडा फहराया जाता है.

जैसे वर्ष 2019 में उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर में वहां के उस समय के जिला दंडाधिकारी (DM) रविंद्र कुमार के निर्देशानुसार कई सारे कार्यक्रम आयोजित हुए थे. जिसमें झंडा फहराना भी शामिल था.

Gandhi Jayanti Essay in Hindi – सारांश

गांधी जयंती पर निबंध बिषय को आधार मानकर आज का यह संपूर्ण आर्टिकल लिखा गया है. इसमें गांधी जी से संबंधित बहुत सी जानकारियों को उजागर किया गया है. 

इस लेख मे हमने आज गांधी जयन्ती पर 3 निबंध प्रस्तुत किये है. जिनका उपयोग आप स्कूल या कॉलेज की निबंध प्रतियोगिता मे भाग लेने के लिए कर सकते है. अतः 

हम उमीद करते है कि आज के आर्टिकल से आपको बहुत कुछ सीखने को मिला होगा और यदि आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो इसको जरूर शेयर करे.

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